सूत्र :भावे तद्योगेन तत्सिद्धिरभावे तदभावात्कुतस्तरां तत्सिद्धिः II1/80
सूत्र संख्या :80
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कारण के होने से उसके संयोग से कार्य बन सकता है और कारण के अभाव में किसके योग से द्रव्यरूप कार्य बनेगा जैसे- मिट्टी के होने से तो उसका घट बन जायेगा, मृत्तिका नही तो किसका घट बनेगा।
प्रश्न- तुम प्रधान अर्थात् प्रकृति को क्यों कारण मानते हो? कर्म को मानना चाहिये।