सूत्र :न कर्मण उपादानायोगात् II1/81
सूत्र संख्या :81
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कर्म से जगत् की उत्पत्ति नही हो सकती, क्योकि कर्म द्रव्य तो है ही नही। द्रव्य के बिना गुणादि में उपादान कारण होने की योग्यता नही। कारण यह है कि दुव्य का उपादान कारण द्रव्य होता है। यहद कहो हम कल्पन करते है तो कल्पना दृष्टि के अनुसार प्राण्माणिक और विरूद्ध होने से अप्रामाणिक है और वैशेषिक में कहे हुए गुण और कर्म कही उपादान कारण होते नही। देखा यहां कर्म शब्द से अविद्या और गुणों को भी लेना चाहिये, वह भी उपादान के योग्य नही।