सूत्र :नावस्तुनो वस्तुसिद्धिः II1/78
सूत्र संख्या :78
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो अवि़द्या द्रव्य नही है केवल मात्र है, या कोई वस्तु नही है, उससे तगत् जो द्रव्य वस्तु है, किस प्रकार उत्पन्न हो सकता है? क्योंकि गुण द्रव्य का एक अवयव होता है। एक अवयव से अवयवी की उत्पत्ति नही हो सकती और न अभाव से भाव की उत्पत्ति होती है? जैसे- मनुष्य के सींग नही हो तो उस सींग से कमान कैसे बन सकती है?
प्रश्न- यह संसार भी अवस्तु है, इसलिए यह अविद्या से बना है?