सूत्र :तदुत्पत्तिश्रुतेश्च II1/77
सूत्र संख्या :77
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अनित्य और एक देशी पदार्थों की उत्पत्ति श्रुति में मानी है और जिसकी उत्पत्ति है उसका विनाश अवश्य होगा।
प्रश्न- अविद्या सम्बन्ध से जगदुत्पत्ति है, इसमें क्या दोष है? इसका उत्तर महात्मा कपिल जी देते है।