DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :त्रिधा त्रयाणां व्यवस्था कर्मदेहोपभोगदेहोभयदेहाः II5/124
सूत्र संख्या :124

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : उत्तम, मध्यम, अधम, इन तीन तरह के शरीरों की तीन व्यवस्था हैं और उनके वास्ते ही धर्म आदि अधिकार हैं एक कर्म-देह जो सिर्फ कर्मों के करते-करते ही पूरा हो जाय जैसे अनेक ऋषि मुनियों का जन्म तप के करने ही में पूरा हो जाता है। दूसरा उपभोग देह जैसे अनेक पशु-पक्षी कीटादि का शरीर कर्मफल भोगते ही पूरा हो जाता है। तीसरा समान्य उभय देह है, जिसने कर्म भी किये हों और भोग भी भोगे हों, जैसे सामान्य मनुष्यों का शरीर। केवल दो प्रकार के देहों के लिए कर्म की विधि है, भोग योनि के वास्ते नहीं। मनुष्यों के अतिरिक्त और सब उपभोग देह अर्थात् भोग योनि हैं, इसलिये उनको धर्माधर्म का विधान नहीं है।

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