सूत्र :अस्त्यात्मा नास्तित्वसाधनाभावात् II6/1
सूत्र संख्या :1
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पहिले पांच अध्यायों में महर्षि कपिल जी ने अनेक प्रकार के प्रमाण युक्तियों से अपने मत का प्रतिपादन और अन्य मतों का खण्डन किया अब इस अन्त के छठे अथ्याय में अपने सिद्धान्त को बहुत सरल रीति पर कहेंगे कि जिससे इस दर्शनशास्त्र का सार बिना प्रयास अर्थात् थोड़ी मेहनत से ही समझ में आ सके जो बातें पहिले अध्यायों में कह आये हैं अब उन बातों को ही साररूप से कहेंगे कि जिससे इन दर्शन का सम्पूर्ण सार सर्व साधारण की समझ में आ जावे, इसलिए उन बातों का पुनःकहना पुनरूक्ति नहीं हो सकता है।
।।१।। अर्थ- आत्मा कोई पदार्थ अवश्य है, क्योंकि न होने में कोई प्रमाण नहीं दीखता।