सूत्र :न बुद्ध्यादिनित्यत्वमाश्रयविशेषेऽपि वह्निवत् II5/126
सूत्र संख्या :126
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि बुद्धि आदि का आश्रय जीव नित्य है तो भी बुद्धि आदि नित्य नहीं है, जैसे चन्दन का काठ शीत प्रकृति वाला होता है परन्तु आग के संयोग होने पर उसकी शीतलता आग में नहीं हो सकती।