सूत्र :प्राप्तार्थप्रकाशलिङ्गाद्वृत्तिसिद्धिः II5/106
सूत्र संख्या :106
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : नत्र का जिस पदार्थ से सम्बन्ध होती है उसको ही प्रकाश करता है, इससे साफ-साफ सिद्ध होता है कि चक्षु की बत्ति तेजस्वरूप है नेत्र तेजस्वरूप नहीं हैं।
प्रश्न- जाब नेत्र का पदार्थ से सम्बन्ध होता है तब नेत्र की वृत्ति शरीर को बिना छोड़े उस पदार्थ पर कैसे जा पड़ती है?