सूत्र :न देशभेदेऽप्य-न्योपादानतास्मदादिवन्नियमः II5/109
सूत्र संख्या :109
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : देश के भेद होने पर भी वस्तु का दूसरा उपादान नहीं हो सकता, क्योंकि जैसे हम लोग देशों में जाकर वास करने ल्रते हैं, परन्तु इन्द्रियां नही बदलतीं वेज्यों की त्यों रहती हैं, हमारा देश ही तो पलट जाजा है। यदि देश भेद ही इन्द्रियों के बदलने में वा और उपादान कारण करने के हेतु होता है तो हम लोगों की इन्द्रियां भी वहां जाकर जरूर बदल जातीं, लेकिन देखने में नहीं आता, इससे सिद्ध होता है कि इन्द्रिया पांचभौतिक नहीं, किन्तु अहंकार से पैदा है?
प्रश्न- जब कि इन्द्रियों की तरह अहंकार से उत्पत्ति है तो उनको भोतिक क्यों प्रतिपादन किया है?