सूत्र :सर्वेषु पृथिव्युपादानमसाधारण्यात्तद्व्यपदेशः पूर्ववत् II5/112
सूत्र संख्या :112
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इन सब प्रकार की सृष्टियों का साधारण उपादान कारण पृथ्वी है, इसलिए इनका पार्थिव कहना योग्य है, और जो पंचभूतों का व्यपदेश (नाम) सुना जाता है वह पूर्वकथन के समान समझना चाहिये अर्थात् मुख्य उपादान कारण पृथ्वी है और सब गौण हैं।
प्रश्न- इस शरीरा में प्राण ही प्रधान है, इसलिये प्राण को ही देह का कत्र्त मानना चाहिए?