सूत्र :न विशेषगतिर्निष्क्रियस्य II5/76
सूत्र संख्या :76
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि विशेष गति ऊपर नीचे का जाना आना अर्थात् ब्रह्यलोग की प्राप्ति इत्यादिक को ही मुक्ति मानें सो भी नहीं हो सकती, क्योंकि प्रधान तो त्रियाशून्य है जो कुछ उसमें त्रिया दीखती है सब पुरूष के संसर्ग से है, परन्तु आप ऐसी शक्ति को नहीं रखता।