सूत्र :सक्रियत्वाद्गतिश्रुतेः II5/70
सूत्र संख्या :70
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मन त्रिया वाला है इसलिए मन हर एक इन्द्रियों के व्यापार और प्रवृत्ति का हेतु है, गति वाला भी है।
प्रश्न- यदि मन को नित्य नहीं मानते तो मत मानो, लेकिन निर्विभाग, कारण रहित तो मानना होगा।