DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :न विशेषगुणोच्छित्तिस्तद्वत् II5/75
सूत्र संख्या :75

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : सत्व, रज, तम, इनके नाश होने को ही यदि मुक्ति माना जाय तो भी ठीक नहीं, क्योंकि उक्त सत्त्वादि तीन गुण प्रधान के स्वाभाविक धर्म हैं, उनका नाश होना प्रधान का धर्म नहीं है, इसलिए उसकी मुक्ति नहीं मानी जाती।