सूत्र :न निर्भागत्वं तद्योगाद्घटवत् II5/71
सूत्र संख्या :71
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे घट आदि पदार्थ मृत्तिका (मिट्टी) के कार्य हैं इस ही तरह मन भी किसी का कार्य अवश्य है। जबकि कार्य निश्चय हो गया तो उसका कारण-योग भी अवश्य होगा।
प्रश्न- मन नित्य है या अनित्य?