सूत्र :प्रकृतिपुरुषयोरन्यत्सर्वमनित्यम् II5/72
सूत्र संख्या :72
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रकृति और पुरूष के अतिरिक्त जो अन्य पदार्थ हैं। वे सब अनित्य हैं, इस कारण से मन भी अनित्य है।
प्रश्न- प्रकृति और पुरूष इन दो को ही नित्य क्यों माना हैं?