सूत्र :न व्यापकत्वं मनसः करणत्वादिन्द्रियत्वाद्वा II5/69
सूत्र संख्या :69
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मन व्यापक नहीं , क्योंकि मन को इन्द्रिय और कारण माना है।
प्रश्न- कारण किसको कहते हैं?
उत्तर- जिसके द्वारा जो अपने कार्य करने में तैयार हो, जैसे कि मन के द्वारा जीवात्मा अपने कार्यों को करता है।