सूत्र :नाद्वैतमात्मनो लिङ्गात्तद्भेदप्रतीतेः II5/61
सूत्र संख्या :61
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जीव एक ही नहीं है किन्तु अनेक हैं, इस सूत्र का यह अर्थ है। जीव और ईश्वर इन दोनों का अभेद मानकर जो अद्वैत माना जाता है वह ठीक नहीं क्योंकि कि जीव के जो अल्पज्ञत्वादि चिन्ह हैं और ईश्वर के जो सर्वज्ञत्वादि चिन्ह हैं उनसे दोनों में भेद ज्ञात होता है।