सूत्र :पूर्वसिद्धसत्त्वस्याभिव्यक्तिर्दीपेनेव घटस्य II5/59
सूत्र संख्या :59
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस शब्द का होना पहिले ही से सिद्ध है, उस शब्द का उच्चारण करने से प्रकाश होता है, उसकी उत्पत्ति नहीं होती है। दृष्टांत जैसे कि अंधेरे स्थान में रक्खे हुए पा, को दीपक प्रकाश कर देता है। ऐसा नहीं कह सकते कि दीये ने पात्र को उत्पन्न कर दिया, क्योंकि पात्र तो पहिले से ही वहां विद्यमान था, अन्धकार के कारण उसका ज्ञान नही होता था। इसी तरह शब्द भी पहिले से सिद्ध है, उच्चारण करने से केवल उसका प्रकाश होता है, इसलिए शब्द नित्य है।