सूत्र :न शब्दनित्यत्वं कार्यताप्रतीतेः II5/58
सूत्र संख्या :58
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : शब्द नित्य नहीं हो सकता, क्योंकि उच्चारण के बाद शब्द नष्ट हो जाता है, जैसे-ककार हुआ, उच्चारणावसान में फिर नष्ट हो गया, इत्यादि अनुभवों से सिद्ध होती है कि शब्द भी कार्य है।