सूत्र :न सतो बाधदर्शनात् II5/53
सूत्र संख्या :53
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो पदार्थ सत् है उसका बाध किसी तरह नहीं हो सकता और वेद सत् माने गये है इस वास्ते ऐसा कहना नहीं बन सकता कि पदार्थ नहीं है।
प्रश्न- वेदार्थ है या नहीं ऐसा झगड़ा क्यों किया जाय, यही न कह दिया जावे कि वेद का अर्थ है तो परन्तु अनिर्वचनीय है।