सूत्र :नानिर्वचनीयस्य तदभावात् II5/54
सूत्र संख्या :54
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वेद के अर्थ अनिर्वचनीय (जो कहने में न आये) कहना ठीक नहीं, क्योंकि संसार में ऐसा कोई पदार्थ नहीं दीखता जा अनिर्वचनीय हो, और उसी पदार्थ को कह सकते हैं, जो संसार में प्रत्यक्ष है, इसलिए अनिर्वचनीय कहना ठीक नहीं।