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दर्शन शास्त्र :
सांख्य दर्शन
Language
HINDI
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सूत्र :
नापौरुषेयत्वान्नित्यत्वमन्नरादिवत् II5/48
सूत्र संख्या :
48
व्याख्याकार :
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ :
वेद अपौरूषेय हैं, इस वास्तें नित्य हैं, ऐसा नहीं क्योंकि अंकुर किसी पुरूष का बनाया हुआ नहीं होता, परन्तु अनित्य होता है।
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