सूत्र :निजशक्ति-र्व्युत्पत्त्या व्यवच्छिद्यते II5/43
सूत्र संख्या :43
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : शब्द का अर्थ होना यह शब्द की स्वाभाविकी शक्ति है, और विद्वानों की परम्परा से वह शक्ति वेद के अर्थों में भी चली आती है, और उसी व्युत्पत्ति से वृद्ध लोग शिष्यों को उपदेश करते चले आये हैं कि इस शब्द का ऐसा अर्थ है और जो ऐसा कहते हैं कि वेदों का अर्थ प्रत्यक्ष नहीं है किन्तु अतीन्द्रिय है, और उसका समाधान है।