सूत्र :न पौरुषेयत्वं तत्कर्तुः पुरुषस्याभावात् II5/46
सूत्र संख्या :46
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : वेद किसी पुरूष के बनाए हुए नहीं हैं क्योंकि उनका बनाने वाला दीखता नहीं। तब यह बात माननी पड़ेगी कि वेद अपौरूषेयत्व हैं, जबकि वेदों का अपौरूषेयत्व सिद्ध हो गया तो वह जिनके बनाये हुए वेद हैं, और नित्य के कार्य भी नित्य होते हैं, इस कारण वेदों का नित्यव सिद्ध हो गया। यदि ऐसा कहा जावे कि वेदों को भी किसी जीव ने बनाया होगा सो भी सत्य नहीं।