सूत्र :न त्रिभिरपौरुषेयत्वाद्वेदस्य तदर्थस्या-तीन्द्रियत्वात् II5/41
सूत्र संख्या :41
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आपने जो तीन प्रमाण दिए उन प्रमाणें से वेद के अर्थ की प्रतीति नहीं हो सकती क्योंकि मनुष्य-मनुष्य की बात को समझ सकता है, परन्तु वेद अपौरूषेय है, इस वास्ते उसका अर्थ इन्द्रियों से ज्ञात नहीं हो सकता क्योंकि वह वेद अतीन्द्रिय है अर्थात् इन्द्रियों की शक्ति से बाहर है। इसका समाधान करने के वास्ते पहले इस बात को सिद्ध करते हैं कि वेदों का अर्थ प्रत्यक्ष देखने में आता है, अतीन्द्रिय नहीं है।