सूत्र :आधेयशक्तियोग इति पञ्चशिखः II5/32
सूत्र संख्या :32
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आधार में जो आधेय शक्ति रहती है, उसकों ही पंचशिख नाम वाले आचार्य व्यप्ति मानते हैं। इसका आशय भी दृष्टान्त से समझ लेना चाहिए कि आधार जो आग है, उसमें आधेय जो धुआं, उसके रहने की जो शक्ति है, उसको व्याप्ति कहते है।