सूत्र :न तत्त्वान्तरं वस्तुक-ल्पनाप्रसक्तेः II5/30
सूत्र संख्या :30
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पहिले सूत्र में जो व्याप्ति का लक्षण किया गया है, उसके सिवाय किसी और पदार्थ का नाम व्याप्ति नहीं हो सकता क्योंकि इस प्रकार अनक तरह की व्याप्ति माने में एक नया पदार्थ कल्पना करना पड़ेगा। इस वास्ते व्याप्ति का वही लक्षण सत्य है जो पहिले सूत्र में किया गया है।