DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :निजशक्त्युद्भवमित्याचार्याः II5/31
सूत्र संख्या :31

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जो व्याप्ति की शक्ति से उत्पन्न किसी विशेष शक्ति का रूप हो, वही व्याप्ति आचार्यों के मत में मानने लालय है। इस सूत्र का आशय इस दृष्टांत से समण्ना चाहिए कि व्याप्त जो अग्नि है, उसकी ही शक्ति से धुंआ उत्पन्न होता है और वह धुँआ आग की किसी विशेष शक्ति का रूप है। इसी तरह के पदार्थ को व्याप्ति कहते हैं, और जिसमें यह बात नहीं है, वह व्याप्ति प्रकार नहीं हो सकती।

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