सूत्र :सप्तदशैकं लिङ्गम् II3/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पांच ज्ञानेन्दिंयां और पांच कर्मेन्द्रियां, मन, अहंकार और पंचतन्मात्रा (रूप, रस, गंध स्पर्श, शब्द) यह सूक्ष्म शरीर है।
प्रश्न- यदि लिंग शरीर एक ही है, तो अनेक शरीरें की आकृति में भेद क्यों होता है?