सूत्र :अनुपरिमाणं तत्कृतिश्रुतेः II3/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : लिंग शरीर अणु परिमाण वाला अर्थात् ढका हुआ है, बहुत अणु नहीं हैं, क्योंकि बहुत ही अणु (सूक्ष्म) अवयव रहित होता है और लिंग शरीर अवयव वाला है। कारण यह है, कि लिंग शरीर के कार्य दीखते हैं, इसमें युक्ति भी प्रमाण है।