सूत्र :मातापितृजं स्थूलं प्रायश इतरन्न तथा II3/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्थूल शरीर दो तरह के होते हैं एक तो वह माता-पिता के संगम से पैदा होते हैं, दूसरे वह जो बिना माता-पिता के उत्पन्न हों, जैसे वर्षा ऋतु में वोर बहूटी इत्यादिक होते है।
प्रश्न- पूर्व सूत्रों से साबित हुआ कि तीन प्रकार के शरीर हैं, लेकिन पुरूष कौन से शरीर की उपाधियों से सुख-दुःख का भोक्ता होता है।