सूत्र :आविवेकाच्च प्रवर्तनमविशेषाणाम् II3/4
सूत्र संख्या :4
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अविशेष जो सूक्ष्म भत हैं उनकी सृष्टि प्रवृत्ति तभी तक रहती है जब तक विवेक नहीं होता। ज्ञान के होते हर सूक्ष्म भूतों की प्रवृत्ति नही रहती।
प्रश्न- यदि अविवेक के ही वास्ते सृष्टि का होना है तो महाप्रलय में भी सृष्टि का होना योग्य है क्योंकि उस अवस्था में भी अविवेक बना रहता है?