सूत्र :तस्माच्छरीरस्य II3/2
सूत्र संख्या :2
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पूर्वोक्त (पहिले कहे हुए) बाईस तत्त्वों में से स्थूल सूक्ष्म शरीरों की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न- स्थूल शरीर किसको कहते हैं?
उत्तर- जिसका जाग्रतावस्था में अभिमान होता हैं।
प्रश्न- लिड.ग-शरीर किसको कहते हैं?
उत्तर- मन अहंकार और इन्द्रियां, जिसके द्वारा अपने-अपने काम करने में रहते हैं, उसको लिंग-शरीर कहते हैं।
प्रश्न- बाईस तत्त्वों के बिना संसार की उत्पत्ति नहीं हो सकती।