सूत्र :स्मृत्यानुमानाच्च II2/43
सूत्र संख्या :43
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्मृति का अनमान बुद्धि से ही होता है, क्योंकि चिन्ता वृत्ति (ध्यान की एक अवस्था) सब अवस्थाओं से श्रेष्ठ है और इस सूत्र से यह भी मालूम होता है, कि कपिलाचार्य बुद्धि और चित्त को एक ही मानते हैं, और मतवादियों की तरह मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, इन चारों को अन्तःकरण चतुष्टय नहीं मानते हैं।
प्रश्न- चित्तावृत्ति पुरूष की ही होनी चाहियें?