सूत्र :त्रयाणां स्वालक्षण्यम् II2/30
सूत्र संख्या :30
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मन की ती वृत्तियां जो चित्त, अहंकार और बुद्धि हैं, उनका पृथक्-पृथक् लक्षण विदित होता है। अभिमान के समय अहंकार, विचार के समय चित्त और ज्ञान के समय बुद्धि स्वतः विदित होती है।