सूत्र :शक्तिभेदेऽपि भेदसिद्धौ नैकत्वम् II2/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : एक इन्द्रिय की भी अनेक शक्तियों के मानने से इन्द्रियों का भेद सिद्ध हो गया, क्योंकि उन शक्तियों में ही इन्द्रित्व का स्थापन हो सेता है।
प्रश्न- एक अहंकार से अनेक प्रकार की इन्द्रियों की उत्पत्ति होना यह बात तो न्याय के विरूद्ध है, क्योंकि एक वस्तु से एक ही वस्तु उत्पन्न होनी चाहिए?