सूत्र :कुसुमवच्च मणिः II2/35
सूत्र संख्या :35
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे स्फटिक मणि में काले, पीले इत्यादि फलों की परछाई पड़ने से काले, पीले रेग वाली वह स्फटिक मणि मालूम पड़ने लगती हैं, और जब उन काले पीले फूलों को मणि के साथ से भिन्न कर देते हैं तब वह मणि स्वच्छ प्रत्यक्ष रह जाती है। इस ही तरह मन की वृत्तियों के दूर होने पर पुरूष राग रहित और स्वस्थ हो जाता है।
प्रश्न- यह इन्द्रियां किसके प्रयत्न से अपने-अपने कार्यो के करने में लगी रहती है, क्योंकि पुरूष तो निर्विकार है और ईश्वर से इन्द्रियों का कोई भी सम्बन्ध नहीं है?