DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :क्रमशोऽक्रमशश्चेन्द्रियवृत्तिः II2/32
सूत्र संख्या :32

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : इन्दिंयों की वृत्ति त्रम से भी होती है और बिना त्रम के भी होती है, क्योंकि संसार में दीखता है कि एक आदमी जब पानी पीने में तत्पर होता है, तब वह देखता भी है। प्रश्न- क्या न्याय ने जो एक ही इन्द्रिय के ज्ञान होना लिखा है, वह ठीक नहीं? उत्तर- एक काल में दों ज्ञानेन्द्रियां काम नहीं करतीं, परन्तु एक कर्मेन्द्रिय और एक ज्ञानकन्द्रिय साथ-साथ काम कर सकती हैं। मन की वृत्तियां ही संसार का निदान है, अर्थात् जन्म-मरण आदि सब मन की वृत्तियों से ही होते हैं, इसको ही कहते भी हैं-