सूत्र :गुणपरिणामभेदान्नानात्वमवस्थावत् II2/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : गुणों के परिणाम भेद से एक मन की अनेक शक्तियां इस तरह होती हैं, जैसे- मनुष्य जैसी संगति में बैठेगा उसके वैसे ही गुण हो जायेंगे, यथा, कामिनी स्त्री की संगति से कामी और वैराग्यशील वाले के साथ वैराग्यशील वाला हो जाता है। इस ही तरह मन भी नेत्र आदि को लेकर जिस इन्द्रिय से संगति करता है, उसी इन्द्रिय से मन का मेल हो जाता है। अब ज्ञानेन्द्रिय और कर्मेन्द्रिय इन दोनों के विषय में कहते हैं।