सूत्र :अतीन्द्रियमिन्द्रियं भ्रान्तानामधिष्ठाने II2/23
सूत्र संख्या :23
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : हां! भ्रान्त मनुष्यों की बुद्धि ने गोलक का नाम इन्द्रिय माना है, लेकिन इन्द्रियां तो अतीन्द्रिय हैं अर्थात् इन्द्रियों से इन्द्रियों का ज्ञान नहीं होता।
प्रश्न- इन्द्रिय एक ही है, उसकी ही अनेक शक्तियां अनेक विलक्षण काम करती रहती हैं।