सूत्र :देवतालयश्रुतिर्नारम्भकस्य II2/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अग्नि आदि श्रेष्ठ गुण से युक्त पदार्थों में लय दीखता है, लेकिन उत्पत्ति नहीं दीखती और यह कोई नियम भी नही है कि जो जिसमें लय हो वह उससे ही उत्पन्न भी हो, जैसे, जल की बूंद पृथिवी में लय हो जाती है, लेकिन उत्पन्न नहीं होती। इस कारण इन्द्रियों की उत्पत्ति ही से है किंतु पंचभूतों से नहीं है।
प्रश्न- इन्द्रियों से सम्बन्ध रखने वाला मन नित्य है वा अनित्य?