सूत्र :सात्त्विकमेकादशकं प्रवर्तते वैकृतादहंकारात् II2/18
सूत्र संख्या :18
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : विकार को प्राप्त हुए अहंकार से साहित्वक मन होता है, और यह भी समझना चाहिए कि रजोगुण वाले अहंकार से केवल दश इन्द्रियां और तमोगुण वाले अहंकार से पंचतन्मात्रा होती है, और मन सत्वगुण से होता है, इस कारण उनसे ही ग्यारह इन्द्रियां दिखाते हैं।