सूत्र :इदानीमिव सर्वत्र नात्यन्तोच्छेदः II1/159
सूत्र संख्या :159
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इस वर्तमान काल के दृष्टांत से यह जानना चाहिये कि पुरूष के बन्धन का किसी समय में भी अत्यन्त उच्छेद नहीं हो सकता। इसका मतलब यह है कि कोई भी पुरूष ऐसा मुक्त नहीं है, कि फिर उसका कभी बन्धन न हो सके और इससे यह भी मालूम होता है, कि मुक्त पुरूष फिर भी जन्म होता है।