सूत्र :नान्धादृष्ट्या चक्षुष्मतामनुपलम्भः II1/156
सूत्र संख्या :156
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो पदार्थ अन्धे को नहीं दीखे, उसका अभाव नेत्रवान् मनुष्य कदापि नहीं कह सकता, क्योंकि उसकी नेत्रन्द्रिय की शक्ति नष्ट हो गई है, इस कारण उसको दीख नहीं सकता, और चक्षुष्मान के नेत्रेन्द्रिय की शक्ति वर्तमान है, इस कारण वह अभाव नहीं कह सकता।