सूत्र :विदितबन्धकारणस्य दृष्ट्या तद्रूपम् II1/155
सूत्र संख्या :155
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मनुष्य के बन्ध आदि कारण सब विदित हैं, और ईश्वर, नित्य, शुद्ध, मुक्तस्वरूप है, इस कारण ईश्वर का रूपान्तर नहीं हो सकता।
प्रश्न- यदि जीव ईश्वर का रूपान्तर नहीं है, तो अनेक शरीर धारण करने पर भी एक ही पुरूष रहता है, इसमें क्या प्रमाण है?