सूत्र :अनादावद्य यावदभावाद्भविष्यदप्येवम् II1/158
सूत्र संख्या :158
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अनादि काल से लेकर आज तक जो बात नहीं हुई है वह भविष्यत् काल में भी होगी, यही नियम है। इससे यह सिद्ध होता है कि अनादि काल से लेकर आज तक कोई भी पुरूष मुक्त होकर ब्रह्य नहीं हुआ, क्योंकि पुरूषों की संख्या कमती देखने में नहीं आती, और नई पुरूषों की उत्पत्ति मानी गई है, तो भविष्यत् काल में भी ऐसा ही होगा। अब मोक्ष के विषय में सांख्यकार अपना सिद्धान्त कहते हैं।