सूत्र :सुषुप्त्याद्यसाक्षित्वम् II1/148
सूत्र संख्या :148
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पुरूष सुषुप्ति का आद्य साक्षी है अर्थात् जिन अन्तःकरण की वत्तियों का नाम सुषुप्ति है, वह अन्तःकरण पुरूष के आश्रय है इसी कारण उस सुषुप्ति का साक्षी पुरूष है, और सुषुप्ति अन्तःकरण का धर्म है।
प्रश्न- यदि पुरूष प्रकाश स्वरूप है, और अन्तःकरण वृत्तियों का आश्रय है, तो वह पुरूष एक है या अनेक?