सूत्र :निर्गुणत्वान्न चिद्धर्मा II1/146
सूत्र संख्या :146
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उत्तर- नहीं! कारण यह है कि पुरूष निर्गुण है, इसी से चित् सत् रजादि गुणवाला नहीं हो सकता, क्योंकि ये गुण प्रकृति के धर्म हैं।
प्रश्न- बहुत से तीन गुण पुरूष में मानकर उसको शिव, विष्णु, ब्रह्या कहते हैं?