DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :उभयान्यत्वात्कार्यत्वं महदादेर्घटादिवत् II1/129
सूत्र संख्या :129

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : प्रकृति और पुरूष इन दोनों से महदादिक और ही है, इस सबब उन्हे कार्य मानना चाहिए, जैसे-घट मिट्टी से अलग है इसी सबब कार्य है, क्योंकि मिट्टी कहने से न तो घट का बोध होता है, और न घट कहने से मिट्टी का ही ज्ञान होता है। इसी प्रकार प्रकृति और पुरूष कहने से महादादिकों का भी ज्ञान नहीं होता है। इस कारण महादादिकों को प्रकृति और पुरूष से भिन्न कार्य मानना चाहिए, क्योंकि प्रकृति और पुरूष कारण हैं किन्तु कार्य नहीं है।