सूत्र :उत्पत्तिवद्वादोषः II1/123
सूत्र संख्या :123
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे कि घट की उत्पत्ति के स्वरूप को ही वैशेषिकादि असत्कार्यवादी कमी के कारण मानते हैं अर्थात् यह उत्पत्ति किससे उत्पन्न हुई, ऐसा संदेह नहीं करते, केवल एक ही उत्पत्ति को मानते हैं। इसी तरह अभिव्यक्ति की उत्पत्ति किससे हुई यह विवाद नहीं करना चाहिए। केवल अभिव्यक्ति को ही मानना चाहिए। सत्कार्यवादी और और असत्-कार्यवादी इन दोनों में केवल इतना ही भेद है कि असत्कार्यवादी कार्य उत्पत्ति की पूर्व दशा को प्रागभाग और कार्य के कारण में लय हो जाने को ध्वंस कहते हैं, और इन दोनों अवस्थाओं में कार्य का अभाव मानते हैं, और इसी प्रकार सत्कार्यवादी कही हुई दोनों अवस्थाओं को अनागत और अतीत कहते हैं, तथा उन अवस्थाओं में कार्य का भाव मानते हैं, कार्य से कारण का अनुमान कर लेना चाहिए।
प्रश्न- किस-किसका कार्य कहते हैं?